मैं ब्राम्हण हूं
जब मै पढता हूँ और पढ़ाता हूँ
मैं क्षत्रिय हूँ
जब मैं अपने परिवार की रक्षा करता हूँ
मैं वैश्य हूँ
जब मैं अपने घर का प्रबंधन करता हूँ
मैं शूद्र हूँ
जब मैं अपना घर साफ रखता हूँ
ये सब मेरे भीतर है इन सबके सयोंजन से मै बना हूँ
क्या मेरे अस्तित्व से किसी एक क्षण भी इन्हे अलग कर सकते है क्या किसी भी जाति के हिन्दू के भीतर से ब्राहमण,क्षत्रिय ,वैश्य या शुद्र को अलग कर सकते है?
वस्त्तुतः सच यह है कि हम सुबह से रात तक इन चारो वर्णो के बीच बदलते रहते हैं।
मुझे गर्व है कि मैं एक हिंदू हूँ
मेरे टुकड़े टुकड़े करने की कोई कोशिश न करे।
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