भादो में हुई है दिवाली की सी जगमग
चहुंओर जय श्रीराम का नारा है गुंजायमान
भव्य मंदिर में होंगे अब रामलला विराजमान।
अंधकार मिटा है सदियों का
फ़ल है अथक परिश्रम का
स्वप्न है सलोना पीढ़ियों का
मंज़र ये सुहाना शाम-ए-अवध का।
प्रफ़ुल्लित है जग,हर्षित है मन
महामारी से तंग,दुनिया है दंग
पीली रंगी अयोध्या में,अरसे बाद बसंत ऋतु आयी है
सुनसान पड़ी अयोध्या में,फ़िर से ख़ुशहाली छाई है
त्रेता युग में वनवास और कलियुग में टेंट वास
पांच सौ बरसों से हिंदुओं की एक ही आस
सनातन संस्कृति का अब और नहीं होगा उपहास।
कारसेवकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
भव्य मंदिर पर जब भगवा ध्वज लहराएगा
सरयू तीरे रघुकुल का गौरव पुनर्स्थापित होगा
हिन्दू आस्था का केंद्र अवध अब पुनर्जीवित होगा।
नेपाल से श्रीलंका तक राम,कंबोडिया से कोरिया तक राम
हिंदी की सरलता हैं राम तो उर्दू की नफ़ासत हैं राम
क्षत्रियों के राजा राम तो आदिवासियों के बनवासी राम
अहिल्या के हैं राम तो शबरी के भी राम
हनुमान के हैं राम तो केवट के भी राम
वाल्मीकि के राम तो तुलसी के भी राम
हिंदुओ के हैं राम तो इंडोनेशिया के मुस्लिमों के भी राम
किसी एक संप्रदाय के नहीं,हम सबके हैं राम।
आओ हम मिलकर राम-राज्य का संकल्प करें
जात-पात के बंधनों को तोड़ने का संकल्प करें
मज़हबी मनमुटावों को भूलने का संकल्प करें
भारत को पुनः विश्व-गुरु बनाने का संकल्प करें
"होशंगाबादी" के मन में तो टीस है
जो अयोध्या की पावन भूमि से कोसों दूर है
फ़िर भी रोम-रोम रोमांचित है
किंतु कुछ बातों से मन आशंकित है
बस ध्यान रहे कि दंभ कभी न आने पाए
आध्यामिकता आडंबर की भेंट न चढ़ने पाए
आत्म-सम्मान अभिमान की शक़्ल न लेने पाए
धार्मिक आयोजन हुड़दंग कभी न बनने पाए
जय श्रीराम का नारा हिंसक कभी न होने पाए
कट्टरता से हिंदुत्व की छवि धूमिल कभी न होने पाए
"वसुधैव कुटुम्बकम" की राह से पथभ्रष्ट कभी न होने पाएं
रामभक्त सोनल"होशंगाबादी" की क़लम से।
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