Wednesday, 29 January 2025

महाकुंभ

प्रयागराज में उमड़ा है भक्तों का रेला,
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
गंगा यमुना सरस्वती का संगम ये अलबेला,
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
हर हर गंगे,बम बम भोले भक्त लगाते जयकारे,
माघ के पावन माह में सारे महाकुंभ को जाते।
डुबकी लगाते नर नारी बच्चों से पानी हुआ मटमैला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
अमृत स्नान की है छटा निराली,
नागा साधु और अखाड़ों की जब निकले सवारी।
जटाधारी भभूत रमाए संतों का रूप निराला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
जूना निरंजनी इत्यादि अखाड़ों की अनूठी है शान,
किन्नर अखाड़े को भी मिलता यहां पूरा सम्मान।
झोला उठाए पैदल चलता हर पथिक हुआ मतवाला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
यहां न पूछे "कौन जात हो"
कितनी कमाई करते हो?
अमीर ग़रीब जात पात का भेद मिटाने वाला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
अडानी अंबानी हों या हों विदेशी मेहमान,
करोड़ों का जनसैलाब है करता गंगा में स्नान।
मोक्षदायक इस महापर्व ने नासा को भी मंत्रमुग्ध कर डाला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
संस्कृतियों और परंपराओं का समागम है महाकुंभ
समावेशी भारत की पहचान है महाकुंभ
सत्य सनातन धर्म की विजय पताका है महाकुंभ
रेलगाड़ियां हों बसें या उड़नखटोला,
सड़कों पर श्रद्धालुओं का साम्राज्य है फ़ैला,
पूरे विश्व में चहुंओर हुआ इस क्राउड मैनेजमेंट का बोलबाला।
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
गंगा यमुना सरस्वती का संगम ये अलबेला,
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।

~सोनल"होशंगाबादी"

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