जागो रे ....
मैं यहाँ यह बात स्पष्ट करना चाहती हूँ कि मैं किसी भी धर्म विशेष की विरोधी या हितैषी नही हूँ लेकिन एक हिन्दू होने के नाते मैं अपने धर्म का अपमान बर्दाश्त नही कर सकती क्योंकि मुझे अपने महान धर्म पर गर्व है।बल्कि हर व्यक्ति को अपने धर्म पर गर्व होना चाहिए चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान,सिख हो या ईसाई ,बौद्ध हो या जैन।क्योंकि विश्व का हर धर्म सद -आचरण की ही शिक्षा देता है और हर धर्म की अपनी खासियतें हैं ।अगर हर व्यक्ति अपने -अपने धर्म के अनुसार आचरण करना शुरू कर दे तो दुनिया से आतंकवाद जैसी सारी बुराइयाँ ही ख़त्म हो जाएंगी।इसलिए आतंकवाद को किसी भी धर्म से जोड़कर देखना पूर्णतया गलत है।क्योंकि दुनिया का कोई भी धर्म निर्दोष लोगों की बर्बरता -पूर्वक हत्या करने की शिक्षा नही देता,इसीलिए कोई भी आतंकवादी हिन्दू या मुसलमान नही होता,उसका सिर्फ एक ही धर्म(अधर्म) होता है और वो है आतंकवाद।कोई भी व्यक्ति एक बार आतंकवाद का धर्म अपनाने के बाद न ही खुद इंसान रहता है और न ही दूसरों को इंसान समझता है,वो एक जानवर से भी बदतर ज़िन्दगी जीता है।न ही जीते हुए उसे चैन मिलता है और न ही मरने के बाद सुकून नसीब होता है।इसीलिए हमारे देश के कर्णधारों को ये बात समझनी चाहिए कि किसी भी आतंकवादी को किसी धर्म विशेष से जोडकर उस धर्म की पवित्रता और लोगो के अपने धर्म के प्रति विश्वास को नुकसान न पहुंचाएं।
जय हिन्द।