Tuesday, 22 January 2013

Jaago Re....


जागो रे ....
मैं यहाँ  यह बात स्पष्ट करना चाहती हूँ कि मैं किसी   भी धर्म विशेष की विरोधी  या हितैषी नही   हूँ लेकिन एक   हिन्दू होने के नाते मैं अपने धर्म का अपमान बर्दाश्त नही कर  सकती क्योंकि  मुझे अपने महान धर्म  पर गर्व  है।बल्कि हर व्यक्ति को अपने धर्म पर गर्व होना चाहिए चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान,सिख हो या ईसाई ,बौद्ध हो या जैन।क्योंकि विश्व का हर धर्म सद -आचरण की ही शिक्षा देता है और हर धर्म की अपनी खासियतें हैं ।अगर हर व्यक्ति अपने -अपने धर्म के अनुसार आचरण करना शुरू कर दे  तो दुनिया से आतंकवाद जैसी सारी  बुराइयाँ ही ख़त्म हो जाएंगी।इसलिए आतंकवाद को किसी भी धर्म से जोड़कर देखना पूर्णतया गलत है।क्योंकि दुनिया का कोई भी धर्म निर्दोष लोगों की बर्बरता -पूर्वक हत्या  करने की शिक्षा नही देता,इसीलिए कोई भी आतंकवादी हिन्दू या मुसलमान नही होता,उसका सिर्फ   एक ही धर्म(अधर्म) होता है और वो है आतंकवाद।कोई भी व्यक्ति एक बार आतंकवाद का धर्म अपनाने के बाद न ही खुद इंसान  रहता है और न ही दूसरों को इंसान समझता है,वो एक जानवर से भी बदतर ज़िन्दगी जीता है।न ही जीते हुए उसे चैन मिलता है और न ही मरने के बाद सुकून नसीब होता है।इसीलिए हमारे देश के कर्णधारों को ये बात समझनी चाहिए कि किसी भी आतंकवादी को किसी धर्म विशेष से जोडकर उस धर्म की पवित्रता और लोगो के अपने धर्म के प्रति विश्वास को नुकसान  न पहुंचाएं।

जय हिन्द।

Jaago Re....


जागो रे ....
हालाँकि मैं जानती हूँ कि मेरे इन विचारों को इस  चेहरे की किताब पर चस्पा करते ही हमारे सभ्य और आधुनिक भारतीय समाज के कई लोग मेरे विरोध में तर्क देना शुरू कर  देंगे,क्योंकि ये तो हमारी पुरानी  आदत है कि  हम परायों के साथ मिलकर अपनों के खिलाफ खड़े हो जाते हैं।हमें हमेशा अपनी ही चीज़ों में कमियां नज़र आती हैं चाहे वो हमारा धर्म हो,हमारे देश की संस्कृति या हमारे देश का रहन-सहन!हम हमेशा से ही विदेशो और विदेशी शिक्षा-संस्कृति से अनुगृहीत रहे हैं।इसीलिए आज देश की आधी से अधिक जनसँख्या अपने ही देश में अपने धर्म का अपमान होने पर भी मौन है!आज कुछ मुट्ठी भर राजनेताओं ने हमारे धर्म की अस्मिता को कलंकित करने के लिए एक नया शब्द ईजाद किया है "भगवा आतंकवाद "जिसका कोई अस्तित्व ही नही है।भगवा रंग जो विभिन्न परिप्रेक्ष्य में विविध रूपों में हमारे सामने आता है, कभी वो शहीद भगत सिंह के चोले  का बसंती रंग है,कभी वीर हनुमान के ब्रम्हचर्य का रंग है तो कभी हमारे राष्ट्र -ध्वज में केसरिया रंग के रूप में आकर शक्ति का प्रतीक बन जाता है।क्या ऐसा निर्मल भगवा रंग आतंकवाद का प्रतीक हो सकता है?लेकिन आज हम आधुनिक भारतियों के आगे इन बातों की कोई महत्ता नही।क्योंकि आज हमारे लिए राधा देवी नही रही बल्कि देवी राधा अब सेक्सी राधा बन चुकी हैं।ये हमारे लिए निहायती शर्म की बात है कि अब हम अपने पूजनीय देवी-देवताओं के लिए ऐसे अभद्र  शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं,शायद आगे हमे हॉट और आइटम जैसे  शब्दों का प्रयोग भी देखने  को मिल सकता है क्योंकि हम पाश्चात्य संस्कृति के प्रति आकर्षित  हैं इसीलिए हमे हमारे धर्म के रीति -रिवाज पाखंड और आडम्बर लगते हैं।कुछ दिनों पहले एक फिल्म का पूरी दुनिया में ज़बरदस्त विरोध किया गया क्योंकि उससे एक धर्म विशेष के लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची थी,लेकिन हम हिन्दुओं को न ही इस गीत में कुछ अपमानजनक लगा न ही उस फिल्म में जिसमे हमारे शंकराचार्यों को पाखंडी करार दे दिया गया और हिन्दू धर्म से जुडी समस्त धार्मिक क्रियाओं को आडम्बर नाम दे दिया गया।शायद इसी का प्रतिफल आज हमारे सामने है कि हम जैसे यज्ञ -अभिषेक -अनुष्ठान करने वाले हिन्दुओं को आतंकवादी की संज्ञा दी जा रही है।यहाँ गीता के उक्त श्लोक का उल्लेख करना अनिवार्य हो गया है-
"यदा -यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः ,
अभ्युथानम धर्मस्य तदात्मानं सृजाभ्यहम।"  

जय हिन्द।

Jaago Re....


जागो रे ....
हालाँकि मैं जानती हूँ कि मेरे इन विचारों को इस  चेहरे की किताब पर चस्पा करते ही हमारे सभ्य और आधुनिक भारतीय समाज के कई लोग मेरे विरोध में तर्क देना शुरू कर  देंगे,क्योंकि ये तो हमारी पुरानी  आदत है कि  हम परायों के साथ मिलकर अपनों के खिलाफ खड़े हो जाते हैं।हमें हमेशा अपनी ही चीज़ों में कमियां नज़र आती हैं चाहे वो हमारा धर्म हो,हमारे देश की संस्कृति या हमारे देश का रहन-सहन!हम हमेशा से ही विदेशो और विदेशी शिक्षा-संस्कृति से अनुगृहीत रहे हैं।इसीलिए आज देश की आधी से अधिक जनसँख्या अपने ही देश में अपने धर्म का अपमान होने पर भी मौन है!आज कुछ मुट्ठी भर राजनेताओं ने हमारे धर्म की अस्मिता को कलंकित करने के लिए एक नया शब्द ईजाद किया है "भगवा आतंकवाद "जिसका कोई अस्तित्व ही नही है।भगवा रंग जो विभिन्न परिप्रेक्ष्य में विविध रूपों में हमारे सामने आता है, कभी वो शहीद भगत सिंह के चोले  का बसंती रंग है,कभी वीर हनुमान के ब्रम्हचर्य का रंग है तो कभी हमारे राष्ट्र -ध्वज में केसरिया रंग के रूप में आकर शक्ति का प्रतीक बन जाता है।क्या ऐसा निर्मल भगवा रंग आतंकवाद का प्रतीक हो सकता है?लेकिन आज हम आधुनिक भारतियों के आगे इन बातों की कोई महत्ता नही।क्योंकि आज हमारे लिए राधा देवी नही रही बल्कि देवी राधा अब सेक्सी राधा बन चुकी हैं।ये हमारे लिए निहायती शर्म की बात है कि अब हम अपने पूजनीय देवी-देवताओं के लिए ऐसे अभद्र  शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं,शायद आगे हमे हॉट और आइटम जैसे  शब्दों का प्रयोग भी देखने  को मिल सकता है क्योंकि हम पाश्चात्य संस्कृति के प्रति आकर्षित  हैं इसीलिए हमे हमारे धर्म के रीति -रिवाज पाखंड और आडम्बर लगते हैं।कुछ दिनों पहले एक फिल्म का पूरी दुनिया में ज़बरदस्त विरोध किया गया क्योंकि उससे एक धर्म विशेष के लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची थी,लेकिन हम हिन्दुओं को न ही इस गीत में कुछ अपमानजनक लगा न ही उस फिल्म में जिसमे हमारे शंकराचार्यों को पाखंडी करार दे दिया गया और हिन्दू धर्म से जुडी समस्त धार्मिक क्रियाओं को आडम्बर नाम दे दिया गया।शायद इसी का प्रतिफल आज हमारे सामने है कि हम जैसे यज्ञ -अभिषेक -अनुष्ठान करने वाले हिन्दुओं को आतंकवादी की संज्ञा दी जा रही है।यहाँ गीता के उक्त श्लोक का उल्लेख करना अनिवार्य हो गया है-
"यदा -यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः ,
अभ्युथानम धर्मस्य तदात्मानं सृजाभ्यहम।"  

जय हिन्द।

जागो रे ....
हालाँकि मैं जानती हूँ कि मेरे इन विचारों को इस  चेहरे की किताब पर चस्पा करते ही हमारे सभ्य और आधुनिक भारतीय समाज के कई लोग मेरे विरोध में तर्क देना शुरू कर  देंगे,क्योंकि ये तो हमारी पुरानी  आदत है कि  हम परायों के साथ मिलकर अपनों के खिलाफ खड़े हो जाते हैं।हमें हमेशा अपनी ही चीज़ों में कमियां नज़र आती हैं चाहे वो हमारा धर्म हो,हमारे देश की संस्कृति या हमारे देश का रहन-सहन!हम हमेशा से ही विदेशो और विदेशी शिक्षा-संस्कृति से अनुगृहीत रहे हैं।इसीलिए आज देश की आधी से अधिक जनसँख्या अपने ही देश में अपने धर्म का अपमान होने पर भी मौन है!आज कुछ मुट्ठी भर राजनेताओं ने हमारे धर्म की अस्मिता को कलंकित करने के लिए एक नया शब्द ईजाद किया है "भगवा आतंकवाद "जिसका कोई अस्तित्व ही नही है।भगवा रंग जो विभिन्न परिप्रेक्ष्य में विविध रूपों में हमारे सामने आता है, कभी वो शहीद भगत सिंह के चोले  का बसंती रंग है,कभी वीर हनुमान के ब्रम्हचर्य का रंग है तो कभी हमारे राष्ट्र -ध्वज में केसरिया रंग के रूप में आकर शक्ति का प्रतीक बन जाता है।क्या ऐसा निर्मल भगवा रंग आतंकवाद का प्रतीक हो सकता है?लेकिन आज हम आधुनिक भारतियों के आगे इन बातों की कोई महत्ता नही।क्योंकि आज हमारे लिए राधा देवी नही रही बल्कि देवी राधा अब सेक्सी राधा बन चुकी हैं।ये हमारे लिए निहायती शर्म की बात है कि अब हम अपने पूजनीय देवी-देवताओं के लिए ऐसे अभद्र  शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं,शायद आगे हमे हॉट और आइटम जैसे  शब्दों का प्रयोग भी देखने  को मिल सकता है क्योंकि हम पाश्चात्य संस्कृति के प्रति आकर्षित  हैं इसीलिए हमे हमारे धर्म के रीति -रिवाज पाखंड और आडम्बर लगते हैं।कुछ दिनों पहले एक फिल्म का पूरी दुनिया में ज़बरदस्त विरोध किया गया क्योंकि उससे एक धर्म विशेष के लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची थी,लेकिन हम हिन्दुओं को न ही इस गीत में कुछ अपमानजनक लगा न ही उस फिल्म में जिसमे हमारे शंकराचार्यों को पाखंडी करार दे दिया गया और हिन्दू धर्म से जुडी समस्त धार्मिक क्रियाओं को आडम्बर नाम दे दिया गया।शायद इसी का प्रतिफल आज हमारे सामने है कि हम जैसे यज्ञ -अभिषेक -अनुष्ठान करने वाले हिन्दुओं को आतंकवादी की संज्ञा दी जा रही है।यहाँ गीता के उक्त श्लोक का उल्लेख करना अनिवार्य हो गया है-
"यदा -यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः ,
अभ्युथानम धर्मस्य तदात्मानं सृजाभ्यहम।"  

जय हिन्द।

Jaago Re....


जागो रे ....
दुनिया  का प्राचीनतम धर्म-हिन्दू धर्म,मूलतः इसी धर्म से भारतवर्ष की सम्पूर्ण विश्व में पहचान रही  है लेकिन आज हमारे अपने देश के ही कुछ आदरणीय लोग महज़ एक - दो घटनाओं के दम  पर  हम हिन्दुओं को आतंकवादी सिद्ध करने की भरसक कोशिश कर रहे हैं।जिस धर्म में ऋषि वशिष्ठ,वाल्मीकि,विश्वामित्र,अगस्त्य,कपिल मुनि और ऐसे हजारों विद्वान महापुरुष पैदा हुए हैं क्या उस धर्म के लोग आतंकवादी  हो सकते हैं?जिस धर्म में स्त्री को देवी मानकर उसकी पूजा की जाती है,आदर्श पुरुष को राम सा दर्जा  दिया जाता है,बच्चों को बाल  -गोपाल की संज्ञा दी जाती है,इतना ही नही मृत पूर्वजों को  भी पितृ मानकर श्राद्ध पक्ष में उनका तर्पण कर ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है!क्या ऐसे संस्कारवान लोग आतंकवादी हो सकते हैं?जिस धर्म में श्रीमद भगवत गीता और रामायण जैसे  महा -ग्रंथों की रचना हुई है क्या इन ग्रन्थों के दोहे -चौपाइयों को दिन- रात आत्मसात करने वाले लोग आतंकवाद की शिक्षा ले सकते हैं?   लेकिन आज हमारे कुछ राजनेता केवल विपक्षी दल को नीचा दिखाने  के लिए देश की आधी से ज्यादा आबादी की धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं।लेकिन मैं जानती हूँ कि आज के परिप्रेक्ष्य में  हिन्दू धर्म की आवाज़ उठाने का साहस  कोई नही कर सकता क्योंकि अगर कोई ऐसा करता है तो उसे साम्प्रदायिक और धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा समझकर जेल में डाल दिया जाएगा।उसे कट्टर हिन्दू समझकर दूसरे  धर्मों के लिए सबसे बड़ा खतरा मान लिया जाएगा और उसे  खुलेआम आलोचना का शिकार होना पड़ेगा।हमारे सेनापतिजी के इस बयान  का ही असर है कि वर्षों से आतंकवाद को संरक्षण  देता आ रहा हमारा दुश्मन मुल्क़ अब हम पर ही आतंकवाद के इलज़ाम लगा रहा है,एक आतंकवादी भारतीय आतंकवाद के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र परिषद्(United Nations Organization ) में ले जाने की हमें खुलेआम चुनौती दे रहा है।यहाँ "उल्टा चोर कोतवाल को डांटे"वाली कहावत चरितार्थ हो रही है!हमारा नेतृत्व अपने होनहार जवान का सर भले न वापिस ला  पाया हो,लेकिन उन्होंने स्वयं अपने देश के लोगों को आतंकवादी कहकर सौ करोड़ से ज़्यादा भारतीयों को पूरी दुनिया के आगे शर्मिंदा ज़रूर  कर दिया,हमारे सारे  वीर शहीदों की शहादत पर पानी फेर दिया।
जय हिन्द।
                                                                                                                    
                                                                                                                       सोनल तिवारी 
                                                                        23/01/13
                                                                                                       

Friday, 11 January 2013

Jaago Re....

जागो रे ....
आज एक बार फिर दुश्मन ने हमे अपने घर में घुसकर ललकारा है लेकिन इसके बावजूद हमारी सरकार कुछ नही कर पा रही। एक अरब से ज्यादा की आबादी रखने वाला देश अपने दो जवानों की मौत का बदला नही ले सकता !क्योकि आज हमारी सेना मजबूर है हमारी अपनी सरकार के हाथो,एक बार फिर बयानबाजियो का दौर शुरू हो चुका है जैसा कि आजकल हर अहम मसले पर हमारे राजनेता शुरू कर देते हैं।आज वही लोग हमारे वीर जवान का सर काटकर ले गए हैं जिनके मुल्क से हाल ही में मंत्रीजी हमारे देश का दौरा करके हमारे अतिथि -सत्कार से अभिभूत होकर अपने देश वापिस गए,शायद उनके देश में आदरसत्कार के बदले ऐसी हैवानियत दिखाने का रिवाज है।यहाँ तक कि हर प्रेस कांफ्रेंस में हमारे मंत्रीजी उनकी हर बात में सिर हिलाते और बाद में उनकी बातों पर सफाई देते ही नज़र आए।दरअसल आज हम हमारे लचर नेतृत्व की वजह से कमज़ोर पड़ गए हैं।आज हमारे देश में एक ऐसा नेतृत्व है जो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अनशन कर रहे एक जनसेवक की सुध लेना भी जरूरी नही समझता !जो एक लडकी के साथ हुए अत्याचार के ख़िलाफ़ सडको पर निकले युवाओं के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने के लिए पुलिस की लाठियों का सहारा लेता है!जो भ्रष्टाचार में फंसे अपने एक मंत्री को और ऊंची कुर्सी देता है!जो अपने भ्रष्टाचार को छुपाने और अपने आप को सही ठहराने के लिए भारत के नियंत्रक -महालेखापरीक्षक The Comptroller and Auditor General (CAG) को गलत साबित करने में भी कोई कसर नही छोड़ता!हालाँकि हमारे राजा जांबाज़ महाराज रणजीत सिंह की कौम से सम्बन्ध रखते हैं लेकिन ये घोर आश्चर्य की बात है कि वे हमेशा मौन  ही रहते   हैं!भले ही वे एक सज्जन,बुद्धिमान और चरित्रवान व्यक्ति हैं लेकिन जब एक विशाल देश की बागडोर आपके काबिल हाथों में सौंपी गई है तो आपका ये उत्तरदायित्व है कि आप अपनी चुप्पी तोड़ें और कुछ कड़े कदम भी उठायें। अगर हमारे पास आज एक मज़बूत नेतृत्व होता  तब शायद इस पाशविक कृत्य के बाद  पडोसी देश के प्रतिनिधि की हमारे ही देश में मीडिया के सामने खुलेआम मुस्कुराने की हिम्मत न होती ....

जय हिन्द।