जागो रे ....
दुनिया का प्राचीनतम धर्म-हिन्दू धर्म,मूलतः इसी धर्म से भारतवर्ष की सम्पूर्ण विश्व में पहचान रही है लेकिन आज हमारे अपने देश के ही कुछ आदरणीय लोग महज़ एक - दो घटनाओं के दम पर हम हिन्दुओं को आतंकवादी सिद्ध करने की भरसक कोशिश कर रहे हैं।जिस धर्म में ऋषि वशिष्ठ,वाल्मीकि,विश्वामित्र,अगस्त्य,कपिल मुनि और ऐसे हजारों विद्वान महापुरुष पैदा हुए हैं क्या उस धर्म के लोग आतंकवादी हो सकते हैं?जिस धर्म में स्त्री को देवी मानकर उसकी पूजा की जाती है,आदर्श पुरुष को राम सा दर्जा दिया जाता है,बच्चों को बाल -गोपाल की संज्ञा दी जाती है,इतना ही नही मृत पूर्वजों को भी पितृ मानकर श्राद्ध पक्ष में उनका तर्पण कर ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है!क्या ऐसे संस्कारवान लोग आतंकवादी हो सकते हैं?जिस धर्म में श्रीमद भगवत गीता और रामायण जैसे महा -ग्रंथों की रचना हुई है क्या इन ग्रन्थों के दोहे -चौपाइयों को दिन- रात आत्मसात करने वाले लोग आतंकवाद की शिक्षा ले सकते हैं? लेकिन आज हमारे कुछ राजनेता केवल विपक्षी दल को नीचा दिखाने के लिए देश की आधी से ज्यादा आबादी की धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं।लेकिन मैं जानती हूँ कि आज के परिप्रेक्ष्य में हिन्दू धर्म की आवाज़ उठाने का साहस कोई नही कर सकता क्योंकि अगर कोई ऐसा करता है तो उसे साम्प्रदायिक और धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा समझकर जेल में डाल दिया जाएगा।उसे कट्टर हिन्दू समझकर दूसरे धर्मों के लिए सबसे बड़ा खतरा मान लिया जाएगा और उसे खुलेआम आलोचना का शिकार होना पड़ेगा।हमारे सेनापतिजी के इस बयान का ही असर है कि वर्षों से आतंकवाद को संरक्षण देता आ रहा हमारा दुश्मन मुल्क़ अब हम पर ही आतंकवाद के इलज़ाम लगा रहा है,एक आतंकवादी भारतीय आतंकवाद के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र परिषद्(United Nations Organization ) में ले जाने की हमें खुलेआम चुनौती दे रहा है।यहाँ "उल्टा चोर कोतवाल को डांटे"वाली कहावत चरितार्थ हो रही है!हमारा नेतृत्व अपने होनहार जवान का सर भले न वापिस ला पाया हो,लेकिन उन्होंने स्वयं अपने देश के लोगों को आतंकवादी कहकर सौ करोड़ से ज़्यादा भारतीयों को पूरी दुनिया के आगे शर्मिंदा ज़रूर कर दिया,हमारे सारे वीर शहीदों की शहादत पर पानी फेर दिया।
जय हिन्द।
सोनल तिवारी
23/01/13
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