Wednesday, 12 May 2021

बलात्कार का राजनीतिकरण

 हैरानी की बात है कि सोशल मीडिया और सबसे तेज़ होने का दावा करते समाचार चैनलों के बीच मुझे आज 12दिनों बाद पता चला कि विगत 30अप्रैल को टीकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में 25वर्षीय एक युवती की मृत्यु हो गयी जिसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। ग़ौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की ये युवती किसान आंदोलन में भाग लेने गत 11अप्रैल को टीकरी बॉर्डर आयी थी जो किसान सोशल आर्मी के टेंट में रुकी थी। युवती के पिता ने किसान सोशल आर्मी से जुड़े 4युवकों और 2युवतियों के विरुध्द प्राथमिकी दर्ज कराई है। इस सबके बीच अचंभित कर देने वाली बात ये सामने आ रही है कि आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और अवसरवादी राजनीति का लाभ उठाते हुए हाल ही में किसान बनकर सामने आए संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष योगेंद्र यादव जिनके नेतृत्व में ये आंदोलन कई महीनों से चल रहा है, उन्हें 2मई को ही इस घटना की सूचना मिल चुकी थी लेकिन उन्होंने पुलिस को इसकी ख़बर देना ज़रूरी नहीं समझा। बहुत संभव है कि नेताजी योगेंद्र यादव को लगा होगा कि पुलिस को इस घटना की सूचना देना 2024के आम चुनाव तक चलने वाले उनके राजनीतिक किसान आंदोलन को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन युवती ने मरने से पहले अपने साथ हुए यौन शोषण और आरोपियों की जानकारी फ़ोन पर अपने पिता को दे दी थी मगर हद तो तब हो गयी जब युवती के पिता के दिल्ली आने पर इन नेताजी ने उन्हें क़ानूनी मदद करने की बजाय ये कहकर हाथ खड़े कर लिए कि "आपको स्वयं ही एफआईआर कराना चाहिए"। उनके इस वक्तव्य का असली अर्थ हम सब समझ सकते हैं। आश्चर्यजनक ये भी है कि मैं रोज़ समाचार-पत्र पढ़ती हूँ और समाचार चैनल भी देखती हूँ लेकिन केवल अपना राजनीतिक एजेंडा फ़ैलाने और किसानों की आड़ लेकर सरकार के विरोध में चल रहे आंदोलन को सही साबित करने के लिए इतनी शर्मनाक घटना को उतने ही शर्मनाक तरीके से मीडिया रिपोर्टिंग से दरकिनार कर दिया गया है क्योंकि आजकल हमारे देश में बलात्कार जैसे घिनौने अपराध का भी राजनीतिकरण कर दिया गया है जिसके तहत केवल उत्तर प्रदेश में होने वाले बलात्कार को ही जघन्य समझा जाता है और बाकी जगहों पर होने वाली ऐसी घटनाओं को ढिठाई पूर्वक दबाया जाता है।

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