Saturday, 20 January 2024

Ramlala virajman

प्रफ़ुल्लित है जग,हर्षित है मन

सुनसान पड़ी अयोध्या में,फ़िर से ख़ुशहाली छाई

रघुकुल रीत सदा चली आई,प्राण जाए पर वचन ना जाई।

पौष में हुई दिवाली सी जगमग

अंधकार मिटा है सदियों का

होइहि सोइ जो राम रचि राखा,को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

त्रेता युग में वनवास और कलियुग में टेंट वास

अब है भव्य मंदिर की बारी,

मंगल भवन अमंगल हारी,द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी॥

सदियों से जिसकी राह तकी थी

रामलला की छबि न्यारी मन मोहक ऐसी

जाकी रही भावना जैसी,प्रभु मूरत देखी तिन तैसी

घर घर भगवा शान से लहराता 

सरयू तीरे रघुकुल के गौरव का मान बढ़ाता 

हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता, कहहि सुनहि बहुविधि सब संता॥

अवध में गुंडाराज से रामराज्य है आया

कारसेवकों की शहादत को आज नमन करे हर कोई

जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई। 

रामलला हुए विराजमान, विजय का है शंखनाद

सबके मुख पर जय श्रीराम, रोम रोम करता यशोगान

शाम अवध की लालिमा सुहानी, राम रसायन ये सरयू का पानी

अयोध्या की पावन भूमि करे पुकार,

राम की चरण रज से कर ले उद्धार

हम सबके राम, हम सबमें राम 

जन जन के जो तारणहार,ऐसे मेरे राम।

 रामभक्त सोनल"होशंगाबादी" की क़लम से।

 


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