Friday, 23 May 2025

ऑपरेशन सिंदूर

तुमने सिंदूर उजाड़े हैं, हम तुमको धूल चटाएंगे

तुमने हिंद को ललकारा है, हम तुमको औक़ात बताएंगे

तुमने नापाक हिमाक़त की, हम तुमको सबक सिखाएंगे

तुम जन्नत के ख़्वाब हो बुनते,हम तुमको दोज़ख दिखलाएंगे

तुमने सिंदूर उजाड़े हैं, हम तुमको धूल चटाएंगे

अबकी जो आंख दिखाई हम पर, हम घर में घुसकर मारेंगे 

चिंगारी तुमने भड़काई, हम आसमां से आग बरसाएंगे

तुमने सिंदूर उजाड़े हैं, हम तुमको धूल चटाएंगे

तुमने कश्मीर जो मांगा तो, हम पीओके भी ले आयेंगे

ज़रा संभालकर रखना अपने लाहौर कराची, बलूचिस्तान भी तुमसे छीनेंगे 

तुमने सिंदूर उजाड़े हैं, हम तुमको धूल चटाएंगे

धर्म पूछकर तुमने मारा, हम धर्मयुद्ध निभाएंगे

जंग ए आग़ाज़ किया है तुमने, अंजाम तक हम पहुंचाएंगे

तुमने सिंदूर उजाड़े हैं, हम तुमको धूल चटाएंगे

तुमने ख़ूब कर ली आतंक की सरपरस्ती, अब हम ख़त्म करेंगे तुम्हारी हस्ती,

तुमने झेलम को लाल किया, तो हमने भी चेनाब सुखाई है

वतनपरस्ती की क़सम हर भारतवासी ने खाई है

तुमने सिंदूर उजाड़े हैं, हम तुमको धूल चटाएंगे

विदेशी खैरात पर तो मुल्क़ तुम्हारा ज़िंदा है, 

तुम्हारी अपनी क़ौम तुम्हारी हरकतों पर शर्मिंदा है,

अरे अब तो सुधर जाओ,अच्छे पड़ोसी की तरह पेश आओ,

जम्हूरियत का एहतराम करो, पहले अपने देश में आटे दाल का इंतज़ाम करो

तुम्हारे चीनी खिलौनों पर हमारे स्वदेशी हथियार भारी हैं 

तुम्हारे आतंक के आकाओं पर हमारे सैनिक भारी हैं

तुम्हारे दहशतगर्दों की तालीम पर हमारी देशभक्ति भारी है

तुम्हारे बुज़दिल मुनीर पर हमारे शेरदिल मोदी भारी हैं

नेस्तनाबूत होगा पाकिस्तान, सूचना जनहित में जारी है।

सुन ले आतंकिस्तान, तुम्हारी सरजमीं पर फ़तेह का परचम हम लहराएंगे

तुमने सिंदूर उजाड़े हैं, हम तुमको धूल चटाएंगे

तुमने हिंद को ललकारा है, हम 

तुमको औक़ात बताएंगे।

जय हिंद


~सोनल "होशंगाबादी"




Wednesday, 29 January 2025

महाकुंभ

प्रयागराज में उमड़ा है भक्तों का रेला,
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
गंगा यमुना सरस्वती का संगम ये अलबेला,
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
हर हर गंगे,बम बम भोले भक्त लगाते जयकारे,
माघ के पावन माह में सारे महाकुंभ को जाते।
डुबकी लगाते नर नारी बच्चों से पानी हुआ मटमैला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
अमृत स्नान की है छटा निराली,
नागा साधु और अखाड़ों की जब निकले सवारी।
जटाधारी भभूत रमाए संतों का रूप निराला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
जूना निरंजनी इत्यादि अखाड़ों की अनूठी है शान,
किन्नर अखाड़े को भी मिलता यहां पूरा सम्मान।
झोला उठाए पैदल चलता हर पथिक हुआ मतवाला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
यहां न पूछे "कौन जात हो"
कितनी कमाई करते हो?
अमीर ग़रीब जात पात का भेद मिटाने वाला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
अडानी अंबानी हों या हों विदेशी मेहमान,
करोड़ों का जनसैलाब है करता गंगा में स्नान।
मोक्षदायक इस महापर्व ने नासा को भी मंत्रमुग्ध कर डाला
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
संस्कृतियों और परंपराओं का समागम है महाकुंभ
समावेशी भारत की पहचान है महाकुंभ
सत्य सनातन धर्म की विजय पताका है महाकुंभ
रेलगाड़ियां हों बसें या उड़नखटोला,
सड़कों पर श्रद्धालुओं का साम्राज्य है फ़ैला,
पूरे विश्व में चहुंओर हुआ इस क्राउड मैनेजमेंट का बोलबाला।
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।
गंगा यमुना सरस्वती का संगम ये अलबेला,
१४४साल में आया महाकुंभ का मेला।

~सोनल"होशंगाबादी"

Sunday, 19 January 2025

The Emergency

 Wt else cud u expect from an actor like Kangana Ranaut...a powerful performance and yes,she proved it again dt she is d real QUEEN of bollywood and not only as an actor but as a director as well. Emergency is her debut film as a full-fledged director & she has nailed it.

In the whole movie I rarely saw Kangana in it, all I saw was late Mrs. Indira Gandhi only. This is the magic she created on screen with d portrayal of the 1st female prime minister of India. Kangana has written, produced, directed d film & acted as well and her creation turned out to b a cinematic Masterpiece.

कंगना के द्वारा अपनी डायरेक्टोरियल डेब्यू के रूप में श्रीमती इंदिरा गांधी जैसी सशक्त महिला लेकिन विवादास्पद नेता की बायोपिक का चयन जबकि वह ख़ुद कांग्रेस की विचारधारा और परिवारवाद का विरोध करती रही हैं, निश्चित ही एक कलाकार के रूप में कंगना की विश्वसनीयता को प्रमाणित करता है। कांग्रेस विरोधी होते हुए भी श्रीमती गांधी के व्यक्तित्व का बिना किसी प्रोपेगेंडा के इतनी साफ़गोई से फिल्मांकन करना ये दिखाता है कि कंगना अपनी कला के प्रति कितनी समर्पित और ईमानदार हैं। She is a true artist.

Wtever may be d result of the movie, hit or flop, bt I must say that noone else cud portray the former prime minister so well on screen proving the line "Kangana is Indira". She is definitely one of the finest performers of Hindi film industry. So anyone should not miss this wonderful film on big screens.


Wednesday, 27 November 2024

रोज़ का है

यूं तो मैं शराबी नहीं मगर मयखाने के सामने से मेरा गुजरना रोज़ का है,
यूं तो मैं परवाना नहीं मगर तेरी यादों में मेरा जलना रोज़ का है
यूं तो मैं आशिक़ नहीं मगर चांद को मेरा निहारना रोज़ का है
यूं तो मैं शायर नहीं मगर तेरी तारीफ़ में मेरा क़शीदे पढ़ना रोज़ का है
यूं तो मैं दिलजला नहीं मगर तेरी गली में मेरा जाना रोज़ का है
यूं तो मैं कहीं ठहरता नहीं मगर तेरे साथ मेरे वक़्त का थम जाना रोज़ का है
यूं तो नेकनीयत हूं मैं मगर तुझे देखकर अरमानों का मेरे मचल जाना रोज़ का है
यूं तो बेनूर हूं मैं मगर तेरे चेहरे के नूर से मेरा रोशन हो जाना रोज़ का है
यूं तो मैं मुल्हिद हूं मगर दुआ में ख़ुदा से तुझी को मेरा मांगना रोज़ का है
यूं तो मैं नसीबों वाला नहीं मगर तेरे आने से घर में मेरे बरकतों का आना रोज़ का है
तू अल्लाह है,रब है या है भगवान, तेरी इबादत में मेरा सर झुकाना रोज़ का है
तेरा इश्क़ है समंदर से भी गहरा और उसमें मेरा डूब जाना रोज़ का है
यूं तो मैं कुछ कहता नहीं फ़िर भी मेरा तुझसे शिकवा करना रोज़ का है
यूं तो कोई उम्मीद नहीं तुझसे फ़िर भी तुझसे मेरा रूठ जाना रोज़ का है
वैसे तो पत्थर दिल हूं मैं फ़िर भी मेरे दिल का टूट जाना रोज़ का है
यूं तो मुझे भी मोहब्बत नहीं तुझसे, मगर तेरे इंतज़ार में मेरा तड़पना रोज़ का है
यूं तो छोड़ना चाहता हूं मैं भी तुझे मगर तेरी जुदाई के खयाल से मेरा डरना रोज़ का है
यूं तो मैं अकेला ही हूं सफ़र में मगर तेरे साथ होने का गुमान होना रोज़ का है।
यूं तो तुझे पाने की ख्वाहिश भी नहीं मुझे,मगर क्या करूं मेरी किस्मत का पलट जाना रोज़ का है!

सोनल "होशंगाबादी"

Sunday, 31 March 2024

होली है

रंगों से भरी मुट्ठियां जैसे मचल रही हों आज़ाद होने को, 

पानी से भरी बाल्टीयां जैसे बेचैन हों बादलों की तरह बरसने को, 

पल भर को भी नज़र हटी और दुर्घटना घटी, 

आज़ाद हो उड़ा गुलाल मुट्ठी से, बरस पड़ा पानी बाल्टी से,

बरसाने की गलियों तक होली की है धूम, 

भांग ठंडाई पीकर लोग रहे हैं झूम, 

ब्रज की रज को शीश नवा तू और जा दुनिया को भूल

रंग बदलते लोगों पर किसने ये रंग है डाला

लाल पीला हरा गुलाबी मानो इंद्रधनुष हो छाया

सबके मुख पर राधे राधे, हृदय में बांके बिहारी 

अब रंग निकालने की कवायद है सबसे भारी

मलें उबटन,साबुन,शैंपू और ढेर सारा पानी

तन तो उजला हो गया पर मन है अब भी काला रे

मन को साफ करने का तूने कोई जतन न जाना रे 

गिले शिकवे और बैर की जब मन में न रहेगी कोई जगह 

दुश्मन को भी गले लगाने की मिल जाएगी कोई वजह

तब फिर से आना बिरज की इन गलियों में 

मन का सारा बोझ उतारकर आना बिरज की इन गलियों में

और फ़िर मस्ती में कहना "जोगीरा सा रा रा रा, जोगीरा सा रा रा रा"

सोनल"होशंगाबादी"

Saturday, 30 March 2024

Holi at Mathura-Vrindavan-Barsana

So finally completed another thing of my wishlist & dt was to attend the world famous Holi celebration at Mathura-Vrindavan-Barsana. Though I had already been there in 2019 at Janmashtami, but celebrating Holi at these places is a complete unique experience which can't be described in words & is something beyond the imagination. It's once-in-a-lifetime experience wch everyone must have.


मेरी पिछली यात्रा में मैंने जन्माष्टमी पर्व पर मथुरा वृंदावन को श्रीकृष्ण के भक्तिभाव में डूबा देखा और इस बार होली में रंगों से सराबोर...मथुरा से वृंदावन तक, गोकुल से बरसाने तक जहां देखो वहां जैसे रंग बिरंगे लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा हो। बांके बिहारी की संकरी गलियों में आप अपना सर ऊपर उठाने की भी हिम्मत नहीं कर पाते क्योंकि आप नहीं जानते कि कब कहां से आपके ऊपर गुलाल की बौछार होने लगेगी जो आपकी आंखों में तीर की तरह जा घुसेंगे। रिक्शा में बैठते ही ड्राइवर आपको पहले ही सचेत कर देता है कि रास्ते में जगह जगह आपके ऊपर बाल्टियों से पानी उड़ेला जायेगा, पानी की इस अनचाही बारिश में भीगते हुए आपको अपना धैर्य बनाए रखकर चेहरे पर मुस्कान लिए अपने मन में सिर्फ़ इतना सोचना है कि "बुरा न मानो होली है" ☺️

Saturday, 20 January 2024

Ramlala virajman

प्रफ़ुल्लित है जग,हर्षित है मन

सुनसान पड़ी अयोध्या में,फ़िर से ख़ुशहाली छाई

रघुकुल रीत सदा चली आई,प्राण जाए पर वचन ना जाई।

पौष में हुई दिवाली सी जगमग

अंधकार मिटा है सदियों का

होइहि सोइ जो राम रचि राखा,को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

त्रेता युग में वनवास और कलियुग में टेंट वास

अब है भव्य मंदिर की बारी,

मंगल भवन अमंगल हारी,द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी॥

सदियों से जिसकी राह तकी थी

रामलला की छबि न्यारी मन मोहक ऐसी

जाकी रही भावना जैसी,प्रभु मूरत देखी तिन तैसी

घर घर भगवा शान से लहराता 

सरयू तीरे रघुकुल के गौरव का मान बढ़ाता 

हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता, कहहि सुनहि बहुविधि सब संता॥

अवध में गुंडाराज से रामराज्य है आया

कारसेवकों की शहादत को आज नमन करे हर कोई

जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई। 

रामलला हुए विराजमान, विजय का है शंखनाद

सबके मुख पर जय श्रीराम, रोम रोम करता यशोगान

शाम अवध की लालिमा सुहानी, राम रसायन ये सरयू का पानी

अयोध्या की पावन भूमि करे पुकार,

राम की चरण रज से कर ले उद्धार

हम सबके राम, हम सबमें राम 

जन जन के जो तारणहार,ऐसे मेरे राम।

 रामभक्त सोनल"होशंगाबादी" की क़लम से।