Thursday, 23 August 2018

अटलजी नहीं रहे

राजनीति के पितृ पुरुष,प्रखर वक्ता,कवि हृदय और विरोधियों के भी चहेते पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयीजी नहीं रहे। अटल जी भारत छोड़ो आंदोलन और आपातकाल के दौरान जेल में भी रहे, दोनों बार कालखंड भले बदल गया हो लेकिन परिस्थितियां लगभग एक जैसी थीं। चाहे अंग्रेज़ सरकार हो या इंदिरा सरकार,अपने विरोधियों को कुचलने में माहिर थे। लेकिन फ़िर भी अटलजी की महान शख़्सियत ही थी कि इंदिरा गांधी को उन्होंने दुर्गा का रूप कहा। अटलजी पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने सांसद रहते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरूजी के एक आलीशान होटल बनाने के प्रस्ताव का ये कहते हुए संसद में पुरज़ोर विरोध किया था कि नए-नए आज़ाद हुए देश में होटल से ज़्यादा हॉस्पिटल की ज़रूरत है।अटलजी देश के पहले ऐसे ग़ैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी बने जिन्होंने पूरे 5साल तक सरकार चलाई वो भी 1-2नहीं बल्कि पूरे 22दलों के सहयोग के साथ जिनमें धुर वामपंथी और धुर दक्षिणपंथी थे।अटलजी पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने बरसों से चली आ रही कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए दिल से प्रयास शुरू किए और दुश्मन देश तक शांति-सद्भाव की बस लेकर गए लेकिन फ़िर भी ठीक उसके बाद जब दुश्मन ने पीठ पर छुरा घोंपते हुए कारगिल युद्ध छेड़ा तो कवि हृदय अटलजी ने दुश्मन को धूल चटाने में भी कोई क़सर नहीं छोड़ी।अटलजी पहले ऐसे विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में जाकर हिंदी में भाषण दिया और उसके बाद ही संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने की परंपरा शुरू हुई और उसी का नतीजा है कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी सभी विज्ञप्तियों को हिंदी में भी जारी करने की घोषणा की है। सभी प्रमुख नदियों को जोड़ने की क़वायद हो या चारों दिशाओं में स्थित देश के चार प्रमुख महानगरों को जोड़ने के लिए शुरू की गई स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना या दूर-दराज़ के गांवों को सड़क से जोड़ने के लिए बनाई गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना,अटल जी ने हमेशा देश को जोड़ने के काम किये। उन्हें हमेशा राजनीति में एक अपवाद की तरह याद किया जाएगा।

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