अटलजी पिछले 9साल से स्ट्रोक की वजह से मूक हो गए थे और पूरी तरह सार्वजनिक जीवन से भी दूर थे,उसके बावजूद दिल्ली में उनकी अंतिम यात्रा और फ़िर हरिद्वार में उनकी अस्थि-विसर्जन यात्रा में लोगों का सैलाब देखने को मिला और भारत के कोने-कोने से लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे जिसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता भी थे और बंगाल,हैदराबाद,तेलांगना जैसी जगहों से भी लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे जिन स्थानों पर अटलजी के समय बीजेपी का नामोनिशान नहीं था। यहां तक कि भारत ही नहीं बल्कि हमारे लगभग सभी पड़ोसी देशों से राजनयिक इतने कम समय में उन्हें श्रद्धांजलि देने दिल्ली पहुंच गए, भूटान और मलेशिया जैसे देशों में तो राष्ट्रीय ध्वज आधे दिन के लिए झुका दिया गया। दिल्ली में स्थित ब्रिटिश दूतावास में भी यूनियन जैक को झुका दिया गया। ये सब इस बात का प्रमाण है कि अटलजी 20वीं सदी के सबसे लोकप्रिय भारतीय नेता थे।
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