Thursday, 23 August 2018

Sanju

"संजू" एक ऐसे इंसान की कहानी बयां करती है जो परदे पर नायक लेकिन असल ज़िंदगी में खलनायक रहा है। इस फ़िल्म में रणबीर कपूर की अदाकारी और राजू हिरानी का निर्देशन लाजवाब है लेकिन इस सबके अलावा इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि जिस व्यक्ति को देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अपराधी क़रार देकर जेल भेजा, उस व्यक्ति को इस फ़िल्म में बड़ी ही सफ़ाई से मासूम बनाकर पेश किया गया है। पिछले दिनों एक राजनीतिक दल ने फ़िल्म इंदु सरकार का प्रदर्शन रोकने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया क्योंकि उस फ़िल्म का बैकड्रॉप आपातकाल पर आधारित था और आपातकाल को हमारे देश के इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है। अभी हाल ही में भी इसी राजनीतिक पार्टी ने वेब सीरीज़ सेक्रेड गेम्स पर भी आपत्ति जतायी है क्योंकि इनका कहना है कि इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय के तथ्यों को ग़लत तरीके से पेश किया गया है। लेकिन इस पार्टी को संजू फ़िल्म पर कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि संजय दत्त के पिता जो इस पार्टी के प्रमुख नेता थे,उन्हें इस फ़िल्म में मसीहा बनाकर पेश किया गया है। इस तरह ये फ़िल्म हर वर्ग के लोगों को पसंद आ रही है। यहां तक कि मुम्बई को अपनी बपौती समझने वाली शिवसेना ने भी मुम्बई हमलों के लिए विस्फ़ोटक सामग्री अपने घर में छुपाने वाले एक अपराधी की इस बायोपिक पर चुप्पी साध रखी है। इस सबके बीच मुम्बई हमलों में मारे गए लोगों के परिवार वाले इस फ़िल्म के बारे में क्या सोचते होंगे,ये जानने की किसी को फ़ुरसत नहीं है।

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