अगर आप सिर्फ़ जन्म से ब्राह्मण हैं तो इस पर गर्व करने की कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि ये आपकी कोई विशेष उपलब्धि नहीं है। अगर आपमें हमेशा ग़लत को ग़लत कहने, धर्म का आचरण करने और अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की क्षमता है तो आप ब्राह्मण हैं। हर वो व्यक्ति चाहे किसी भी जाति-धर्म का हो यदि वो शास्त्रों और शस्त्रो का उपयोग समाज के कल्याण के लिए करता है, वो ब्राह्मण है। अगर ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर भी आप चुपचाप अत्याचार सहते हैं तो आप ब्राह्मण कहलाने के योग्य नहीं।
अपने ज्ञान से समाज को सही दिशा देने वाला हर व्यक्ति ब्राह्मण है, अपनी वीरता से समाज की रक्षा करने वाला हर व्यक्ति क्षत्रिय है, अपने बुद्धि-कौशल और चतुराई से समाज का कुशल प्रबंधन करने वाला हर व्यक्ति वैश्य है और सबसे महत्वपूर्ण समाज को चलायमान रखने के लिए परिश्रम करने वाला हर व्यक्ति शुद्र है और यही हमारे प्राचीन भारत की सामाजिक व्यवस्था है जिसमें कोई भी वर्ण छोटा-बड़ा नहीं है और न ही ये आपके किसी विशेष कुल में जन्म लेने से निर्धारित होता है।
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