भारतीय जनता पार्टी जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि ये सम्पूर्ण भारतीय जनता की पार्टी है भले ही वो किसी भी जाति,धर्म या समुदाय से हो। इसीलिये हमारे प्रधानमंत्री जी ने इस बार नारा दिया है "सबका साथ,सबका विकास और सबका विश्वास"। इस पार्टी ने वाक़ई जनता का विश्वास जीता है तभी एक समय 2सीटों की जीत से शुरुआत करने वाली पार्टी ने आज अकेले अपने दम पर 300+ सीटें जीतकर पिछले चुनाव का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। लेकिन ये जीत रातोंरात हुए किसी चमत्कार का नतीजा नहीं है जैसा आम आदमी पार्टी के साथ दिल्ली में हुआ,ये जीत नतीजा है 34साल के अथक परिश्रम,संयम,लगन और धैर्य का...जहां आजकल पार्टी अस्तित्व में आते ही उसके जनक साम,दाम,दंड या भेद किसी भी प्रकार से बस सत्ता में शामिल होने को लालायित रहते हैं वहीं भाजपा ने दशकों से सत्ता पर क़ाबिज़ कांग्रेस के ख़िलाफ़ अपनी राजनीति की शुरुआत की और सत्ता पाने के लिए कभी कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाया और देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में ही काम करती रही।अगर समय रहते भाजपा का उदय न हुआ होता तो हम आज भी एक ही पार्टी की ग़ुलामी कर रहे होते लेकिन भाजपा के आने से देश में विपक्ष की राजनीति अस्तित्व में आई और परिवार केंद्रित सत्ता का अंत हुआ। सालों तक संसद में कांग्रेस को कोई चुनौती देने वाला नहीं था,ज़ाहिर है जिस देश में अगर विपक्ष के रूप में कोई लगाम कसने वाला न हो तो सत्ता पक्ष का घोड़ा अनियंत्रित होकर मनमानियां करने लगता है और यही हुआ इंदिरा गांधी के कार्यकाल में। भाजपा के पितृ-पुरुष अटल बिहारी वाजपेयीजी ने एक ऐसे परिवार के बड़े नेताओं की नीतियों पर सवाल उठाने शुरू किए जिन्हें लोग उस समय देवता की तरह पूजते थे। वे अपने राजनीतिक जीवन में ज़्यादातर समय विपक्ष के नेता रहे लेकिन फ़िर भी वो लोगों में कितने अधिक लोकप्रिय थे ये हमने उनकी अंतिम यात्रा में देखा। आज अटलजी स्वर्ग में बहुत ख़ुश होंगे क्योंकि उन्होंने वर्ष1997 में भाजपा के 300सीटें जीतने की जो भविष्यवाणी की थी वो आज सच हो चुकी है।
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