राष्ट्रवाद का युग
21वीं सदी का युग टेक्नोलॉजी का युग कहा जाता है,ये सदी जो आधुनिकता के चरम की सदी है,ये सदी जो संचार क्रांति की सदी है,ये सदी जो एकल परिवारों की सदी है,ये सदी जो पढ़े-लिखे उन नौजवानों की सदी है जो मल्टीनेशनल कंपनियों में इंजीनियर-मैनेजर बनकर करोड़ों का पैकेज पाते हैं और इसे ही अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि समझते हैं लेकिन इन सबसे परे 21वीं सदी है राष्ट्रवाद के पुनरुत्थान की सदी... ये अपने आप में एक विरोधाभासी तथ्य है कि इस सदी के इतने आधुनिक लोग कट्टर राष्ट्रवादी कैसे बन गए? क्योंकि वामपंथियों द्वारा हमेशा से ये भ्रम फ़ैलाया जाता रहा है कि राष्ट्रवाद रूढ़िवादिता को बढ़ावा देता है और राष्ट्रवादी कभी प्रगतिशील विचारों वाले नहीं हो सकते। लेकिन ये आधुनिक युग का नया राष्ट्रवाद है जिसमें "वसुधैव कुटुंबकम" की भावना भी है और राष्ट्र के लिए ख़तरा बनने वालों को उनके घर में घुसकर मारने की ताक़त भी। आज भारत ही नहीं बल्कि समूचा विश्व राष्ट्रवाद की राह पर अग्रसर है। आज हर देश दूसरों की मदद करने से पहले अपने नागरिकों के हितों और सुरक्षा के लिए व्यवस्था करने की राष्ट्रवादी नीति का समर्थक है। अमेरिकी राष्ट्रपति तो अपनी इसी नीति के चलते हमेशा मीडिया और कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग के निशाने पर रहते हैं। आज यूरोप का हर देश शरणार्थियों को अपने देश में घुसने से रोकने के लिए कड़े क़ानून बना रहा है। आज के दौर में जब ISIS जैसे आतंकवादी संगठन लगातार अपना विस्तार कर रहे हैं और अब ये भारत में भी अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे नाज़ुक दौर में हमें मोदीजी जैसे एक सशक्त प्रधानमंत्री की ही ज़रूरत थी न कि अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पैरवी करने वाले,आतंकवादियों को "जी" कहने वाले और उनकी मौत पर मातम मनाने वाले भ्रष्ट नेताओं की....
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