Monday, 10 June 2019

हिंदुओं का पुनर्जागरण

इन दिनों इंदौर में अभ्यास मंडल में व्याख्यान माला का कार्यक्रम चल रहा है जिसमें रोज़ किसी न किसी ज्वलंत मुद्दे पर बोलने के लिए देश के चुनिंदा बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया जाता है। ज़ाहिर है इन्हें सुनने वाले श्रोता भी बुद्धिजीवी ही होंगे। लेकिन पिछले दो दिनों से मैं अख़बार में इस कार्यक्रम में हंगामा होने की ख़बर पढ़ रही हूं। पहले पूर्व आईएएस और समाजसेवी श्री हर्ष मंदर के भाषण पर इंदौर के लोगों का ग़ुस्सा फूट पड़ा और कल वैज्ञानिक एवं कवि श्री गौहर रज़ा के भाषण पर। अब आप सोच रहे होंगे कि ये अचानक इंदौर की समझदार जनता को क्या हो गया? दरअसल इन बुद्धिजीवियों ने जाने-अनजाने में अपने व्याख्यान में सनातन धर्म पर उंगली उठा दी...हर्ष मंदर जी सामाजिक समरसता पर बोलते-बोलते मॉब लिंचिंग पर चले गए और हिंदुओं को लिंचिंग का दोषी ठहरा दिया और गौहर रज़ा जी ने एक क़दम आगे निकलते हुए प्रधानमंत्री जी के उस कथन का मज़ाक उड़ा दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि गणेश जी प्लास्टिक सर्जरी का सबसे अच्छा उदाहरण हैं। लिंचिंग वाली बात पर वहां मौजूद हमारे शहर के प्रबुद्धजनों ने इन बुद्धिजीवी महोदय से सवाल किया कि क्या कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम लिंचिंग नहीं था और अगर था तो आप इस पर क्यों मौन हैं? दरअसल ये मुट्ठी भर तथाकथित बुद्धिजीवी एक ऐसी मनघड़ंत विचारधारा के पोषक हैं जिसमें बहुसंख्यक समाज को सस्पेक्ट और अल्पसंख्यक समाज को विक्टिम की तरह पेश करके एक वर्ग विशेष के तुष्टिकरण की नीति अपनाई जाती रही है और देश पर 60साल राज करने वाली एक पार्टी ने इसी काल्पनिक थ्योरी को अपने राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया, लेकिन आज मोदीजी के राष्ट्रवाद ने लोगों को पुनः जागरूक किया और लोगों को सनातन धर्म और अपने राष्ट्र के इतिहास पर पुनः गर्व करना सिखाया। 60साल के कांग्रेसी शासनकाल ने भारतीयों की मानसिकता ऐसी कर दी थी कि वे विदेशों की चकाचौंध से प्रभावित होकर अपनी संस्कृति का मज़ाक उड़ाया करते थे बिना उसकी वैज्ञानिक महत्ता को जाने, अपने रीति-रिवाजों का पालन करने में उन्हें शर्म महसूस होने लगी थी लेकिन वही लोग अब अपने देश,अपने धर्म और अपनी संस्कृति को अपमानित करने वालों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर खड़े हो उठते हैं और इस बार का चुनाव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

No comments:

Post a Comment