Monday, 10 June 2019

लोकतंत्र का महापर्व

आज एक बार पुनः साबित हो गया कि हमारे देश का लोकतंत्र कितना मज़बूत है। शायद यही वजह रही कि जनता ने एक ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में दोबारा अवसर देने का निर्णय लिया जिसके विरोध में सारे बेईमान एक होकर लड़ रहे थे जिन्हें अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान का भी समर्थन प्राप्त था। ख़ुद को चौकीदार कहने वाले इस ईमानदार प्रधानमंत्री का खौफ़ भ्रष्ट विरोधियों में इस क़दर बैठा कि सारे चोर चौकीदार से लड़ने के लिए एक मंच पर इकट्ठा हो गए। लेकिन इन बेचारों ने कभी ये नहीं सोचा था कि इनकी यही हरकत जनता के सामने मोदीजी की ईमानदारी की गवाही बन जाएगी और अब इतनी करारी शिकस्त के बाद ये इस हार का विश्लेषण करने की जगह अपनी हार का ठीकरा बेचारी निर्जीव ईवीएम पर फोड़ेंगे। शायद सदियों पहले किसी ने भविष्य देख लिया होगा तभी उसने आज के चुनावी परिप्रेक्ष्य के बारे में इतनी सटीक कहावत बनाई कि "नाच न जाने आंगन टेढ़ा"☺️

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