"कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता,एक तबियत तो पत्थर से उछालो यारों" ये कहावत शायद स्मृति ईरानी के लिए ही बनाई गई थी क्योंकि जिस गांधी परिवार ने इस देश पर 60सालों तक राज किया, उस गांधी परिवार के राजकुमार के किले में सेंध लगाकर उसे उसकी गद्दी से बेदख़ल कर देना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज स्मृति ईरानी का नाम धैर्य,संयम,लगन और कठोर परिश्रम का पर्याय बन चुका है क्योंकि पिछला चुनाव हारने के बाद भी जिस तरह से वो पिछले 5साल में अमेठी में जाती रहीं और राहुल गांधी की नाक के नीचे ही वहां की जनता में अपनी पैठ बनाती रहीं ये निश्चित ही क़ाबिले-तारीफ़ है। पार्टी ने जो उन पर भरोसा दिखाया उस पर वो 100% खरी उतरीं और पार्टी द्वारा दी गयी ज़िम्मेदारी को उन्होंने अपने लिए एक सुनहरे अवसर में बदल दिया। सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए इस निकम्मे राजकुमार को हराने और अमेठी से भगाने के लिए इतिहास स्मृति ईरानी को हमेशा याद रखेगा।
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