पिछले आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी की लोकतांत्रिक हार हुई थी और इस चुनाव में ये हार नैतिक हार में बदल गयी क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक, देश की अंतरिक्ष में ऊंची छलांग का प्रतीक मिशन शक्ति की सफ़लता हो या संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की भारत की कूटनीतिक सफ़लता... हर मौके पर कांग्रेस पार्टी अपनी ही सेना और अपने ही देश की सफ़लता का मखौल उड़ाती नज़र आई और चाहे देश विरोधी नारे लगाने वाले हों या पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी अलगाववादी...हर जगह कांग्रेस पार्टी ऐसे देशद्रोही लोगों के समर्थन में खड़ी नज़र आई। सत्ता के लालच और वोट बैंक की राजनीति में ये लोग इतने अंधे हो गए कि इन्हें पता ही नहीं चला कि मोदी का विरोध करते-करते कब ये लोग भारत का विरोध करने लगे । शायद इसीलिए आज भारत की जनता ने लोकतंत्र के हथौड़े से इनके मुँह पर ऐसा तमाचा जड़ा है जिसकी गूंज कई दशकों तक सुनाई देगी।
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